
जालना के सोये हुवे रंगकर्मी जग गये ......................बात ये है के १९ साल के बाद सोये हुवे जग गए और आज के लोकमत में ०९-०७-२००९ में समाचार दिया के १९ सालोमे जालना में कोई नाटक का कार्य ( नाट्य चलवल ) हुवा नही ऐसा लगता है के मराठवडा नाट्य परिषद् के कार्य करता खुदके कार्य कोही नाट्य चलवल समजते है जबकि जालना रंगमंच ने ९७ से आज तक मराठी रंगभूमि के कार्य को जालना में जिन्दा रखकर पुरे भारत में कई जघोपर मराठी नाटक सादर किए है मास्क संस्था ,नात्यांकुर ,श्रेअस, आकर ,आदि कभी कार्य जोरोसे हूवा ................पर ये सोये हुवे थे ,,,,,,,,,,, आज २ नाटक सादरकर कर जालना की हिस्ट्री बदलने का प्रयास न ही करे तो अच्हा रहेगा ............ आप के इस जागने के लिए धन्यवाद ...... आप से १ अपेक्षा थी के आप महान लोग नात्याग्रह के हालत के बारे भी जग जाए तो बहोत ही अच्छा होगा .......................संजयटिकारिया अध्यक्ष रंगमंच जालना
Foarte interesant subiectul prezentat de tine.M-am uitat pe blogul tau si imi place tare mult
जवाब देंहटाएंSigur am sa mai revin. O zi buna!